बारह राशियों पर बैठे हुए सूर्य का फल एवं सूर्य पर किस ग्रह की दृष्टि हो तो क्या फल होता है ।। Kundali me Bhav And Grahon ki Drishti Anusar Surya ka fal.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, समस्त जीव धारियों को सदा सर्वदा ग्रह और राशी संबंधी फल की प्राप्ति होती है । ऐसा हमारे महर्षियों एवं मनीषियों का मत है । इसलिए आज हम सावधानीपूर्वक अपने शिष्ट आचार्यों के मत का आश्रय लेते हुए कौन सा ग्रह किस राशि पर बैठा है तो उसका क्या फल होगा इस बात को बताएंगे ।।
तो आइए सबसे पहले मेष राशि पर बैठे हुए सूर्य का किस प्रकार का फल होता है, इस विषय में जानने का प्रयत्न करते हैं । मित्रों मेष राशि में सूर्य हो तो जातक शास्त्रों के अर्थ करने में निपुण एवं विद्वत कलाओं में विख्यात होता है । ऐसा जातक युद्ध प्रिय, उग्र कार्यों में सदैव उद्धत रहने वाला, भ्रमणशील, मजबूत हड्डियों वाला, साहस साध्य कार्य में लीन रहने वाला, पित्त और रक्त व्याधि से युक्त एवं रूपवान और बलवान होता है ।। मित्रों, यदि सूर्य अपने उच्च अंश में हो तो ऐसा जातक अपने जीवन में राजा भी बनता है । मित्रों, मंगल की राशियों में स्थित सूर्य पर किस ग्रह की दृष्टि हो तो क्या फल होता है आइए इस विषय में जानने का प्रयत्न करते हैं । जन्मकुण्डली में सूर्य यदि मेष अथवा वृश्चिक राशि में स्थित हो और ऐसे सूर्य के ऊपर चंद्रमा की दृष्टि हो तो ऐसा जातक बहुत दानी होता है ।।
बहुत से नौकरों को रखने वाला, मनोहर स्त्रियों का प्रिय, कोमल शरीर वाला होता है । यदि मंगल की दृष्टि हो तो युद्ध में अति बलवान, क्रूर, लाल नेत्रों वाला और लाल हाथ पैर वाला एवं अत्यंत तेजस्वी होता है । बुध की दृष्टि हो तो ऐसा जातक नौकरी करनेवाला, दूसरों के कार्य करने वाला, अल्प धन वाला, बलहीन, दुखी एवं मलिन शरीर वाला होता है ।।
मित्रों, यदि सूर्य के उपर गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक बहुत धनी, दानी, सत्ता में मंत्री, न्यायाधीश एवं श्रेष्ठ पुरुषों की श्रेणी का होता है । शुक्र की दृष्टि हो तो ऐसा जातक निम्न जाति की स्त्री से विवाह करने वाला, बहुत शत्रुओं वाला, कम भाइयों वाला, दीन एवं कोढ़ी भी हो सकता है ।।
शनि की यदि दृष्टि हो तो कष्ट युक्त शरीर, कार्य में उन्माद वाला, बुद्धिहीन और मूर्ख होता है । वृष राशि पर स्थित यदि सूर्य हो तो जातक मुख और नेत्र रोग से पीड़ित होता है । दु:ख सहन करने वाला लेकिन योग्य और व्यवहार पटु भी होता है । मतिमान, बंध्या स्त्रियों को देखकर द्वेष करने वाला, भोजन, माला, गंध वस्त्रादि से परिपूर्ण, गीत-संगीत-वाद्य-नृत्यादि को जानने वाला तथा जल से भय करने वाला व्यक्ति होता है ।। मित्रों, वृष एवं तुला राशि में स्थित सूर्य के ऊपर किस ग्रह की दृष्टि हो तो क्या फल होता है, इस बात को जानने का प्रयत्न करते हैं । मित्रों ऐसे सूर्य पर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तो ऐसा जातक वेश्यागामी, प्रिय भाषी, बहुत स्त्रियों का पोषण करने वाला तथा जल से जीविका निकालने वाला होता है ।।
ऐसे जातक के ऊपर यदि मंगल की दृष्टि हो तो ऐसा जातक वीर होता है । संग्राम प्रिय, तेजस्वी, अपने साहस से धन, यश और प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाला लेकिन इसके बाद भी विकल रहता है । बुध की दृष्टि हो तो चित्रकला, लेख, काव्य, गीत-संगीत आदि में निपुण और सुंदर होता है ।।
मित्रों, गुरु की दृष्टि हो तो बहुत से शत्रुओं वाला और बहुत से मित्रों वाला, राज्य सरकार में मंत्री, सुंदर नेत्र वाला, कांतिमान एवं संतुष्ट राजा होता है । शुक्र की दृष्टि हो तो राजा या राज्य में मंत्री, स्त्री, धन और भोग से युक्त, बुद्धिमान और डरपोक होता है ।।
शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक नीच आलसी एवं दरिद्र होता है । ऐसा व्यक्ति अपने से बड़ी उम्र की स्त्रियों से प्रेम करने वाला, क्रूर स्वभाव का एवं अनेक रोगों से पीड़ित होता है ।। मित्रों, मिथुन राशि में स्थित सूर्य के विषय में आइए जानते हैं । मित्रों, जन्म के समय में मिथुन राशि में सूर्य हो तो जातक मेधावी, प्रिय वचन बोलने वाला, वात्सल्य गुणों से युक्त, सदाचारी, विद्वान और शास्त्रों में निपुण होता है । ऐसा जातक बहुत ही धनी, उदार ह्रदयवाला, निपुण ज्योतिष का जानकार, मध्यम रूप, दो माताओं वाला, सुंदर और विनय से युक्त होता है ।।
बुध की राशियों में बैठे हुए सूर्य पर अन्य ग्रहों की दृष्टि के प्रभाव के विषय में भी जान लेते हैं । मित्रों जन्म के समय में मिथुन या कन्या राशि में स्थित सूर्य पर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तो शत्रु और अपने भाइयों से कष्ट पाने वाला जातक होता है । विदेश यात्रा से पीड़ित और बहुत विलाप करने वाला होता है ।।
मित्रों, मंगल की यदि दृष्टि हो तो शत्रु से भय, कलहप्रिय, युद्ध में अपयश से दु:खी, एक विख्यात व्यक्ति, बंधू युक्त, शत्रु हीन और नेत्र का रोगी होता है । गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक बहुत से शास्त्रों का जानकार होता है । ऐसा जातक राजदूत अथवा विदेशों में भ्रमण करने वाला लेकिन उग्र एवं उन्मादी होता है ।।
शुक्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो ऐसा जातक धन, स्त्री एवं पुत्रों से युक्त होता है । अपनी संतान से भी अल्प स्नेह करने वाला, निरोग, सुखी और चंचल होता है । शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक बहुत से नौकरों को रखने वाला, उद्विग्न हृदय वाला, बंधुओं के पालन-पोषण में रत रहने वाला परंतु धूर्त होता है ।। मित्रों, कर्क राशि में यदि सूर्य हो तो जातक को क्या फल देता है आइए इस विषय में जानते हैं । किसी भी जातक की जन्मकुंडली में यदि सूर्य कर्क राशि में बैठा हो तो ऐसा जातक कार्यों में चंचल, राजा के समान गुणों से संपन्न होता है । गुणों से विख्यात, अपने स्वजनों का द्वेषी, भाग्यहीन स्त्री वाला, रूपवान, कफ-पित्त आदि से पीड़ित अपने परिश्रम से दुखी, मदिरापान करने वाला परंतु धर्मात्मा, स्वाभिमानी, प्रिय वक्ता, देश, काल एवं दिशा का ज्ञाता होता है ।।
स्थिर और माता-पिता का द्वेषी होता है अर्थात माता पिता से भी शत्रुता करने वाला होता है । कर्क राशि में स्थित सूर्य पर किस ग्रह की दृष्टि हो तो क्या फल होता है आइए जानते हैं । मित्रों, कर्क राशि में बैठे हुए सूर्य के ऊपर चंद्रमा की दृष्टि हो तो जातक राजा अथवा राजा के समान एवं जल के व्यापार से धन कमाने वाला परंतु क्रूर होता है ।।
मित्रों, ऐसे सूर्य के ऊपर मंगल की दृष्टि हो तो ऐसा जातक छय रोग एवं भगंदर रोग से युक्त होता है । अपने भाइयों से विरक्त और चुगल खोर भी होता है । यदि ऐसे सूर्य पर बुध की दृष्टि हो तो जातक पूर्वजों की कीर्ति से विख्यात, राजा का प्रिय, कार्य-कुशल और शत्रु हीन होता है ।।
ऐसे सूर्य पर गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक श्रेष्ठ होता है । राज्य सरकार में मंत्री या सेनापति होता है । प्रसिद्ध एवं तरह-तरह के कलाओं का जानकार होता है । शुक्र की दृष्टि से ऐसा जातक पत्नी भक्त अथवा स्त्री भक्त हो जाता है ।। मित्रों, ऐसा जातक स्त्री के द्वारा धनवान, परोपकारी, रण में सूरवीर और प्रिय वक्ता होता है । यदि ऐसे सूर्य के ऊपर शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक का कफ-वात्त से पीड़ित होता है । दूसरों के धन को छीनने वाला, विपरीत बुद्धि और उल्टी चेष्टाओं वाला तथा चुगल खोर होता है ।।
सिंह राशि में स्थित सूर्य क्या फल देता है आइए जान लेते हैं । यदि किसी की जन्म कुंडली में सूर्य सिंह राशि पर बैठा हो तो ऐसा जातक शत्रुहन्ता, क्रोधी, विशेष चेष्टा वाला, वन-पर्वत और दुर्ग में विचरने वाला, उत्साही, शूरवीर, तेजस्वी, मांस का भक्षण करने वाला, भयानक, गंभीर, स्थिर, बलि, वाचाल, राजा, धनाढ्य और संसार में विख्यात होता है ।।
मित्रों, यदि आपकी कुंडली में सूर्य सिंह राशि में बैठा हो और ऐसे सूर्य के ऊपर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तो ऐसा जातक मेधावी, सुशीला स्त्री का पति, कफ से पीड़ित और राजाओं का प्रिय होता है । यदि मंगल की दृष्टि हो तो परस्त्रीगामी, शूरवीर, साहसी, उद्योगी, उग्र और पुरुषत्व प्रधान व्यक्ति होता है ।।
बुध की दृष्टि हो तो ऐसा जातक विद्वान लेखक लेकिन नित्य धूर्तों के संग में रहने वाला होता है । ऐसा जातक भ्रमणशील एवं अपने स्वजनों-परिजनों से रहित और अल्पबली होता है । ऐसे सूर्य के ऊपर यदि गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक देवालय, बागीचा, जलाशय आदि बनवाने वाला होता है ।। परंतु ऐसा जातक एकांतप्रिय और बहुत ही बड़ा बुद्धिमान होता है । शुक्र की दृष्टि हो तो जातक कुष्ठ रोग से पीड़ित, निर्दयी एवं निर्लज्ज होता है । यदि ऐसे सूर्य के ऊपर शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक अपने ही कार्य का नाश करने वाला, नपुंसक और दूसरों को कष्ट देने वाला होता है ।।
मित्रों आइए जानते हैं कि यदि सूर्य कन्या राशि में हो तो किसी जातक को क्या फल देता है । यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में सूर्य कन्या राशि में बैठा हो तो ऐसा जातक स्त्री के समान शरीर वाला, लज्जायुक्त, लेखक, दुर्बल, प्रिय बोलने वाला, मेधावी, अल्पबलि, विद्वान, देव और पिता आदि गुरुजनों की सेवा करने वाला होता है ।।
ऐसे लोग पैर दबाने और सेवा करने जैसे कार्यों में चतुर, गीत-संगीत के वाद्ययंत्र बजाने में निपुण, कोमल शरीर वाले एवं दीन बचन बोलने वाले होते हैं । जन्मकुंडली में यदि तुला राशि में सूर्य हो तो पराजय, हानि और खर्च से पीड़ित, विदेश यात्रा अथवा सदैव भ्रमण करने वाला व्यक्ति होता है ।।
ऐसा व्यक्ति दुष्ट एवं नीच प्रवृति के होते हैं । ऐसे लोग प्रीतिहीन, सुवर्ण और लोहा आदि से जीविका कमाने वाला होता है । ऐसा जातक द्वेषी, दूसरों का काम करने वाला, परस्त्रीगामी, मलीन, राजा से तिरस्कृत एवं ढीठ होता है ।। मित्रों, किसी की जन्म कुंडली में सूर्य वृश्चिक राशि पर बैठे हो तो ऐसा जातक लड़ाई झगड़े में रोकने पर भी नहीं रुकने वाला होता है । वैदिक धर्म में तत्पर, झूठ बोलने वाला, मूर्ख, स्त्रीहीन अथवा दुष्ट स्त्री वाला, दुष्ट, दू:शीला स्त्री की आज्ञा में रहने वाला, क्रोधी, भ्रष्ट आचरण वाला, लोभी, कलह प्रिय, झूठ बोलने वाला, शस्त्र, अग्नि या जहर से पीड़ित और माता-पिता का शत्रु होता है ।।
यदि सूर्य किसी की कुंडली में अगर धनु राशि में बैठा हो तो ऐसा जातक धन-धान्य से युक्त, राजा का प्रिय, पंडित, देव एवं ब्राह्मणों का भक्त होता है । ऐसा व्यक्ति शस्त्र-अस्त्र और हाथियों की देखरेख आदि की शिक्षा में निपुण होता है । समयानुसार उपयुक्त व्यवहार करनेवाला, सज्जनों का साथी, शांत चित्तवाला, धनवान, विशाल एवं मोटा ताजा परंतु सुंदर शरीर वाला होता है । ऐसा जातक अपने भाई बंधुओं का हित करने वाला एवं बलवान व्यक्ति होता है ।।
मित्रों, किसी कुण्डली में सूर्य यदि गुरु की राशि धनु या मीन में बैठा हो तो क्या फल होता है, आइये जानते हैं । धनु या मीन राशि में बैठे हुए सूर्य के ऊपर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तो ऐसा जातक वाकपटु, बुद्धिमान, वैभवशाली, पुत्र से युक्त, राजा के समान एवं शोकहीन तथा सुंदर शरीर वाला होता है ।। मंगल की दृष्टि हो तो संग्राम में विजय प्राप्त करनेवाला एवं स्पष्ट वक्ता होता है । धन एवं सुख से युक्त संयुक्त और धातुओं का ज्ञाता तथा समाज में लोकप्रिय होता है । गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक राजा का संबंधी अथवा राजा होता है । हाथी घोड़ा अनेक प्रकार के वाहनों से संयुक्त धन से संपन्न और विद्वान होता है ।।
शुक्र की दृष्टि हो तो ऐसा जातक दिव्य स्त्री, गंधादि भोगों से युक्त एवं शांत स्वभाव का होता है । शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक अपवित्र, दूसरों के घर भोजन की ताक में रहने वाला, नीच लोगों की संगती में रहनेवाला एवं उनकी सेवा करने वाला तथा पशु पालक होता है ।।
मित्रों, किसी जातक की जन्मकुंडली में मकर राशि पर सूर्य बैठा हो तो ऐसा जातक लोभी, दु:शीला स्त्रियों का साथी और कुकर्म में प्रवृत्त रहने वाला होता है । ऐसे व्यक्ति की तृष्णा शांत नहीं होती, बहुत से अनैतिक कार्यों में लीन रहने वाला, डरपोक, बंधुओं से हीन एवं चंचल प्रवृत्ति वाला होता है । ऐसा जातक भ्रमणशील, अल्प बली, तथा आत्मीय जनों के विक्षोभ से सर्वनाश करने वाला होता है ।। जन्मकुंडली में सूर्य यदि शनि की राशि मकर अथवा कुंभ में स्थित हो और ऐसे सूर्य पर चंद्रमा की दृष्टि हो तो माया में निपुण, चंचल बुद्धि स्त्री का संग करने वाला, इस दोष से अपने धन के सुख को नष्ट करने वाला होता है । मंगल की यदि दृष्टि हो तो ऐसा जातक रोगी और शत्रुओं से नपुंसक के समान व्यवहार करने वाला होता है ।।
मित्रों, ऐसा जातक दूसरों के धन को चुराने वाला एवं सारहीन शरीर धारी के समान होता है । गुरु की दृष्टि हो तो पुण्य कार्य करने वाला, बुद्धिमान, सब को आश्रय देने वाला, सुविख्यात यशस्वी एवं मनस्वी होता है । शुक्र की दृष्टि हो तो शंख मूंगा और मणि आदि का व्यापारी होता है ।।
ऐसा व्यक्ति वेश्याओं एवं परायी स्त्रियों के द्वारा धन लाभ करने वाला एवं सुखी होता है । शनि की यदि दृष्टि हो तो ऐसा जातक शत्रुओं को जीतने वाला, राजा के सम्मान से वर्धित अथवा राजा से प्राप्त आश्वासन अथवा कार्य से उन्नति करनेवाला होता है ।।
मित्रों आइए कुंभ राशि में बैठे हुए सूर्य का क्या फल होता है यह भी जान लेते हैं । यदि किसी की जन्म कुंडली में सूर्य कुंभ राशि में बैठा हो तो ऐसा जातक ह्रदय रोग से पीड़ित बहुत बल एवं अनेक प्रकार के जीव जंतुओं को पालने वाला होता है ।। ऐसा व्यक्ति सज्जनों से निंदित, अति क्रोधी, परस्त्रीगामी, कार्यों में निपुण परन्तु दु:खी रहनेवाला होता है । यह जातक अल्प धन वाला, धूर्त, चंचल मैत्री वाला, मलिन, चुगलखोर, अनुचित प्रलाप करने वाला अर्थात मिथ्या भासी होता है ।।
मित्रों, किसी की जन्म कुंडली में सूर्य यदि मीन राशि पर बैठा हो तो ऐसा जातक बहुत से मित्रों वाला होता है । स्त्रियों के प्रेम से सुखी, पंडित, शत्रुओं को जीतने वाला, धन और यश से विजय प्राप्त करने वाला होता है । अच्छे पुत्र और नौकरों से सुखी, जल के व्यापार से धनी, प्रिय और मिथ्या बोलने वाला, गुप्त रोगों वाला एवं बहुत से भाइयों वाला होता है ।।
संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केन्द्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
।।। नारायण नारायण ।।।
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मित्रों, समस्त जीव धारियों को सदा सर्वदा ग्रह और राशी संबंधी फल की प्राप्ति होती है । ऐसा हमारे महर्षियों एवं मनीषियों का मत है । इसलिए आज हम सावधानीपूर्वक अपने शिष्ट आचार्यों के मत का आश्रय लेते हुए कौन सा ग्रह किस राशि पर बैठा है तो उसका क्या फल होगा इस बात को बताएंगे ।।
तो आइए सबसे पहले मेष राशि पर बैठे हुए सूर्य का किस प्रकार का फल होता है, इस विषय में जानने का प्रयत्न करते हैं । मित्रों मेष राशि में सूर्य हो तो जातक शास्त्रों के अर्थ करने में निपुण एवं विद्वत कलाओं में विख्यात होता है । ऐसा जातक युद्ध प्रिय, उग्र कार्यों में सदैव उद्धत रहने वाला, भ्रमणशील, मजबूत हड्डियों वाला, साहस साध्य कार्य में लीन रहने वाला, पित्त और रक्त व्याधि से युक्त एवं रूपवान और बलवान होता है ।। मित्रों, यदि सूर्य अपने उच्च अंश में हो तो ऐसा जातक अपने जीवन में राजा भी बनता है । मित्रों, मंगल की राशियों में स्थित सूर्य पर किस ग्रह की दृष्टि हो तो क्या फल होता है आइए इस विषय में जानने का प्रयत्न करते हैं । जन्मकुण्डली में सूर्य यदि मेष अथवा वृश्चिक राशि में स्थित हो और ऐसे सूर्य के ऊपर चंद्रमा की दृष्टि हो तो ऐसा जातक बहुत दानी होता है ।।
बहुत से नौकरों को रखने वाला, मनोहर स्त्रियों का प्रिय, कोमल शरीर वाला होता है । यदि मंगल की दृष्टि हो तो युद्ध में अति बलवान, क्रूर, लाल नेत्रों वाला और लाल हाथ पैर वाला एवं अत्यंत तेजस्वी होता है । बुध की दृष्टि हो तो ऐसा जातक नौकरी करनेवाला, दूसरों के कार्य करने वाला, अल्प धन वाला, बलहीन, दुखी एवं मलिन शरीर वाला होता है ।।
मित्रों, यदि सूर्य के उपर गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक बहुत धनी, दानी, सत्ता में मंत्री, न्यायाधीश एवं श्रेष्ठ पुरुषों की श्रेणी का होता है । शुक्र की दृष्टि हो तो ऐसा जातक निम्न जाति की स्त्री से विवाह करने वाला, बहुत शत्रुओं वाला, कम भाइयों वाला, दीन एवं कोढ़ी भी हो सकता है ।।
शनि की यदि दृष्टि हो तो कष्ट युक्त शरीर, कार्य में उन्माद वाला, बुद्धिहीन और मूर्ख होता है । वृष राशि पर स्थित यदि सूर्य हो तो जातक मुख और नेत्र रोग से पीड़ित होता है । दु:ख सहन करने वाला लेकिन योग्य और व्यवहार पटु भी होता है । मतिमान, बंध्या स्त्रियों को देखकर द्वेष करने वाला, भोजन, माला, गंध वस्त्रादि से परिपूर्ण, गीत-संगीत-वाद्य-नृत्यादि को जानने वाला तथा जल से भय करने वाला व्यक्ति होता है ।। मित्रों, वृष एवं तुला राशि में स्थित सूर्य के ऊपर किस ग्रह की दृष्टि हो तो क्या फल होता है, इस बात को जानने का प्रयत्न करते हैं । मित्रों ऐसे सूर्य पर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तो ऐसा जातक वेश्यागामी, प्रिय भाषी, बहुत स्त्रियों का पोषण करने वाला तथा जल से जीविका निकालने वाला होता है ।।
ऐसे जातक के ऊपर यदि मंगल की दृष्टि हो तो ऐसा जातक वीर होता है । संग्राम प्रिय, तेजस्वी, अपने साहस से धन, यश और प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाला लेकिन इसके बाद भी विकल रहता है । बुध की दृष्टि हो तो चित्रकला, लेख, काव्य, गीत-संगीत आदि में निपुण और सुंदर होता है ।।
मित्रों, गुरु की दृष्टि हो तो बहुत से शत्रुओं वाला और बहुत से मित्रों वाला, राज्य सरकार में मंत्री, सुंदर नेत्र वाला, कांतिमान एवं संतुष्ट राजा होता है । शुक्र की दृष्टि हो तो राजा या राज्य में मंत्री, स्त्री, धन और भोग से युक्त, बुद्धिमान और डरपोक होता है ।।
शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक नीच आलसी एवं दरिद्र होता है । ऐसा व्यक्ति अपने से बड़ी उम्र की स्त्रियों से प्रेम करने वाला, क्रूर स्वभाव का एवं अनेक रोगों से पीड़ित होता है ।। मित्रों, मिथुन राशि में स्थित सूर्य के विषय में आइए जानते हैं । मित्रों, जन्म के समय में मिथुन राशि में सूर्य हो तो जातक मेधावी, प्रिय वचन बोलने वाला, वात्सल्य गुणों से युक्त, सदाचारी, विद्वान और शास्त्रों में निपुण होता है । ऐसा जातक बहुत ही धनी, उदार ह्रदयवाला, निपुण ज्योतिष का जानकार, मध्यम रूप, दो माताओं वाला, सुंदर और विनय से युक्त होता है ।।
बुध की राशियों में बैठे हुए सूर्य पर अन्य ग्रहों की दृष्टि के प्रभाव के विषय में भी जान लेते हैं । मित्रों जन्म के समय में मिथुन या कन्या राशि में स्थित सूर्य पर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तो शत्रु और अपने भाइयों से कष्ट पाने वाला जातक होता है । विदेश यात्रा से पीड़ित और बहुत विलाप करने वाला होता है ।।
मित्रों, मंगल की यदि दृष्टि हो तो शत्रु से भय, कलहप्रिय, युद्ध में अपयश से दु:खी, एक विख्यात व्यक्ति, बंधू युक्त, शत्रु हीन और नेत्र का रोगी होता है । गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक बहुत से शास्त्रों का जानकार होता है । ऐसा जातक राजदूत अथवा विदेशों में भ्रमण करने वाला लेकिन उग्र एवं उन्मादी होता है ।।
शुक्र की दृष्टि सूर्य पर हो तो ऐसा जातक धन, स्त्री एवं पुत्रों से युक्त होता है । अपनी संतान से भी अल्प स्नेह करने वाला, निरोग, सुखी और चंचल होता है । शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक बहुत से नौकरों को रखने वाला, उद्विग्न हृदय वाला, बंधुओं के पालन-पोषण में रत रहने वाला परंतु धूर्त होता है ।। मित्रों, कर्क राशि में यदि सूर्य हो तो जातक को क्या फल देता है आइए इस विषय में जानते हैं । किसी भी जातक की जन्मकुंडली में यदि सूर्य कर्क राशि में बैठा हो तो ऐसा जातक कार्यों में चंचल, राजा के समान गुणों से संपन्न होता है । गुणों से विख्यात, अपने स्वजनों का द्वेषी, भाग्यहीन स्त्री वाला, रूपवान, कफ-पित्त आदि से पीड़ित अपने परिश्रम से दुखी, मदिरापान करने वाला परंतु धर्मात्मा, स्वाभिमानी, प्रिय वक्ता, देश, काल एवं दिशा का ज्ञाता होता है ।।
स्थिर और माता-पिता का द्वेषी होता है अर्थात माता पिता से भी शत्रुता करने वाला होता है । कर्क राशि में स्थित सूर्य पर किस ग्रह की दृष्टि हो तो क्या फल होता है आइए जानते हैं । मित्रों, कर्क राशि में बैठे हुए सूर्य के ऊपर चंद्रमा की दृष्टि हो तो जातक राजा अथवा राजा के समान एवं जल के व्यापार से धन कमाने वाला परंतु क्रूर होता है ।।
मित्रों, ऐसे सूर्य के ऊपर मंगल की दृष्टि हो तो ऐसा जातक छय रोग एवं भगंदर रोग से युक्त होता है । अपने भाइयों से विरक्त और चुगल खोर भी होता है । यदि ऐसे सूर्य पर बुध की दृष्टि हो तो जातक पूर्वजों की कीर्ति से विख्यात, राजा का प्रिय, कार्य-कुशल और शत्रु हीन होता है ।।
ऐसे सूर्य पर गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक श्रेष्ठ होता है । राज्य सरकार में मंत्री या सेनापति होता है । प्रसिद्ध एवं तरह-तरह के कलाओं का जानकार होता है । शुक्र की दृष्टि से ऐसा जातक पत्नी भक्त अथवा स्त्री भक्त हो जाता है ।। मित्रों, ऐसा जातक स्त्री के द्वारा धनवान, परोपकारी, रण में सूरवीर और प्रिय वक्ता होता है । यदि ऐसे सूर्य के ऊपर शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक का कफ-वात्त से पीड़ित होता है । दूसरों के धन को छीनने वाला, विपरीत बुद्धि और उल्टी चेष्टाओं वाला तथा चुगल खोर होता है ।।
सिंह राशि में स्थित सूर्य क्या फल देता है आइए जान लेते हैं । यदि किसी की जन्म कुंडली में सूर्य सिंह राशि पर बैठा हो तो ऐसा जातक शत्रुहन्ता, क्रोधी, विशेष चेष्टा वाला, वन-पर्वत और दुर्ग में विचरने वाला, उत्साही, शूरवीर, तेजस्वी, मांस का भक्षण करने वाला, भयानक, गंभीर, स्थिर, बलि, वाचाल, राजा, धनाढ्य और संसार में विख्यात होता है ।।
मित्रों, यदि आपकी कुंडली में सूर्य सिंह राशि में बैठा हो और ऐसे सूर्य के ऊपर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तो ऐसा जातक मेधावी, सुशीला स्त्री का पति, कफ से पीड़ित और राजाओं का प्रिय होता है । यदि मंगल की दृष्टि हो तो परस्त्रीगामी, शूरवीर, साहसी, उद्योगी, उग्र और पुरुषत्व प्रधान व्यक्ति होता है ।।
बुध की दृष्टि हो तो ऐसा जातक विद्वान लेखक लेकिन नित्य धूर्तों के संग में रहने वाला होता है । ऐसा जातक भ्रमणशील एवं अपने स्वजनों-परिजनों से रहित और अल्पबली होता है । ऐसे सूर्य के ऊपर यदि गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक देवालय, बागीचा, जलाशय आदि बनवाने वाला होता है ।। परंतु ऐसा जातक एकांतप्रिय और बहुत ही बड़ा बुद्धिमान होता है । शुक्र की दृष्टि हो तो जातक कुष्ठ रोग से पीड़ित, निर्दयी एवं निर्लज्ज होता है । यदि ऐसे सूर्य के ऊपर शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक अपने ही कार्य का नाश करने वाला, नपुंसक और दूसरों को कष्ट देने वाला होता है ।।
मित्रों आइए जानते हैं कि यदि सूर्य कन्या राशि में हो तो किसी जातक को क्या फल देता है । यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में सूर्य कन्या राशि में बैठा हो तो ऐसा जातक स्त्री के समान शरीर वाला, लज्जायुक्त, लेखक, दुर्बल, प्रिय बोलने वाला, मेधावी, अल्पबलि, विद्वान, देव और पिता आदि गुरुजनों की सेवा करने वाला होता है ।।
ऐसे लोग पैर दबाने और सेवा करने जैसे कार्यों में चतुर, गीत-संगीत के वाद्ययंत्र बजाने में निपुण, कोमल शरीर वाले एवं दीन बचन बोलने वाले होते हैं । जन्मकुंडली में यदि तुला राशि में सूर्य हो तो पराजय, हानि और खर्च से पीड़ित, विदेश यात्रा अथवा सदैव भ्रमण करने वाला व्यक्ति होता है ।।
ऐसा व्यक्ति दुष्ट एवं नीच प्रवृति के होते हैं । ऐसे लोग प्रीतिहीन, सुवर्ण और लोहा आदि से जीविका कमाने वाला होता है । ऐसा जातक द्वेषी, दूसरों का काम करने वाला, परस्त्रीगामी, मलीन, राजा से तिरस्कृत एवं ढीठ होता है ।। मित्रों, किसी की जन्म कुंडली में सूर्य वृश्चिक राशि पर बैठे हो तो ऐसा जातक लड़ाई झगड़े में रोकने पर भी नहीं रुकने वाला होता है । वैदिक धर्म में तत्पर, झूठ बोलने वाला, मूर्ख, स्त्रीहीन अथवा दुष्ट स्त्री वाला, दुष्ट, दू:शीला स्त्री की आज्ञा में रहने वाला, क्रोधी, भ्रष्ट आचरण वाला, लोभी, कलह प्रिय, झूठ बोलने वाला, शस्त्र, अग्नि या जहर से पीड़ित और माता-पिता का शत्रु होता है ।।
यदि सूर्य किसी की कुंडली में अगर धनु राशि में बैठा हो तो ऐसा जातक धन-धान्य से युक्त, राजा का प्रिय, पंडित, देव एवं ब्राह्मणों का भक्त होता है । ऐसा व्यक्ति शस्त्र-अस्त्र और हाथियों की देखरेख आदि की शिक्षा में निपुण होता है । समयानुसार उपयुक्त व्यवहार करनेवाला, सज्जनों का साथी, शांत चित्तवाला, धनवान, विशाल एवं मोटा ताजा परंतु सुंदर शरीर वाला होता है । ऐसा जातक अपने भाई बंधुओं का हित करने वाला एवं बलवान व्यक्ति होता है ।।
मित्रों, किसी कुण्डली में सूर्य यदि गुरु की राशि धनु या मीन में बैठा हो तो क्या फल होता है, आइये जानते हैं । धनु या मीन राशि में बैठे हुए सूर्य के ऊपर यदि चंद्रमा की दृष्टि हो तो ऐसा जातक वाकपटु, बुद्धिमान, वैभवशाली, पुत्र से युक्त, राजा के समान एवं शोकहीन तथा सुंदर शरीर वाला होता है ।। मंगल की दृष्टि हो तो संग्राम में विजय प्राप्त करनेवाला एवं स्पष्ट वक्ता होता है । धन एवं सुख से युक्त संयुक्त और धातुओं का ज्ञाता तथा समाज में लोकप्रिय होता है । गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा जातक राजा का संबंधी अथवा राजा होता है । हाथी घोड़ा अनेक प्रकार के वाहनों से संयुक्त धन से संपन्न और विद्वान होता है ।।
शुक्र की दृष्टि हो तो ऐसा जातक दिव्य स्त्री, गंधादि भोगों से युक्त एवं शांत स्वभाव का होता है । शनि की दृष्टि हो तो ऐसा जातक अपवित्र, दूसरों के घर भोजन की ताक में रहने वाला, नीच लोगों की संगती में रहनेवाला एवं उनकी सेवा करने वाला तथा पशु पालक होता है ।।
मित्रों, किसी जातक की जन्मकुंडली में मकर राशि पर सूर्य बैठा हो तो ऐसा जातक लोभी, दु:शीला स्त्रियों का साथी और कुकर्म में प्रवृत्त रहने वाला होता है । ऐसे व्यक्ति की तृष्णा शांत नहीं होती, बहुत से अनैतिक कार्यों में लीन रहने वाला, डरपोक, बंधुओं से हीन एवं चंचल प्रवृत्ति वाला होता है । ऐसा जातक भ्रमणशील, अल्प बली, तथा आत्मीय जनों के विक्षोभ से सर्वनाश करने वाला होता है ।। जन्मकुंडली में सूर्य यदि शनि की राशि मकर अथवा कुंभ में स्थित हो और ऐसे सूर्य पर चंद्रमा की दृष्टि हो तो माया में निपुण, चंचल बुद्धि स्त्री का संग करने वाला, इस दोष से अपने धन के सुख को नष्ट करने वाला होता है । मंगल की यदि दृष्टि हो तो ऐसा जातक रोगी और शत्रुओं से नपुंसक के समान व्यवहार करने वाला होता है ।।
मित्रों, ऐसा जातक दूसरों के धन को चुराने वाला एवं सारहीन शरीर धारी के समान होता है । गुरु की दृष्टि हो तो पुण्य कार्य करने वाला, बुद्धिमान, सब को आश्रय देने वाला, सुविख्यात यशस्वी एवं मनस्वी होता है । शुक्र की दृष्टि हो तो शंख मूंगा और मणि आदि का व्यापारी होता है ।।
ऐसा व्यक्ति वेश्याओं एवं परायी स्त्रियों के द्वारा धन लाभ करने वाला एवं सुखी होता है । शनि की यदि दृष्टि हो तो ऐसा जातक शत्रुओं को जीतने वाला, राजा के सम्मान से वर्धित अथवा राजा से प्राप्त आश्वासन अथवा कार्य से उन्नति करनेवाला होता है ।।
मित्रों आइए कुंभ राशि में बैठे हुए सूर्य का क्या फल होता है यह भी जान लेते हैं । यदि किसी की जन्म कुंडली में सूर्य कुंभ राशि में बैठा हो तो ऐसा जातक ह्रदय रोग से पीड़ित बहुत बल एवं अनेक प्रकार के जीव जंतुओं को पालने वाला होता है ।। ऐसा व्यक्ति सज्जनों से निंदित, अति क्रोधी, परस्त्रीगामी, कार्यों में निपुण परन्तु दु:खी रहनेवाला होता है । यह जातक अल्प धन वाला, धूर्त, चंचल मैत्री वाला, मलिन, चुगलखोर, अनुचित प्रलाप करने वाला अर्थात मिथ्या भासी होता है ।।
मित्रों, किसी की जन्म कुंडली में सूर्य यदि मीन राशि पर बैठा हो तो ऐसा जातक बहुत से मित्रों वाला होता है । स्त्रियों के प्रेम से सुखी, पंडित, शत्रुओं को जीतने वाला, धन और यश से विजय प्राप्त करने वाला होता है । अच्छे पुत्र और नौकरों से सुखी, जल के व्यापार से धनी, प्रिय और मिथ्या बोलने वाला, गुप्त रोगों वाला एवं बहुत से भाइयों वाला होता है ।।
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।।। नारायण नारायण ।।।
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