बसन्त पञ्चमी को क्या एवं कैसे करें ?।।



बसन्त पञ्चमी को क्या एवं कैसे करें ? Basant Panchami Ko Kya Aur Kaise Karen.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, बसन्त पञ्चमी को मदनोत्सव, कामोत्सव एवं बसन्तोत्सव भी कहा जाता है । अधिकांशतः लोग इसे माता सरस्वती के पूजा का दिन ही मानते हैं । यह प्रत्येक वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है । इसे लोग वसंत पंचमी के रूप में सदियों से मनाते आ रहे हैं । यह पर्व माता सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है ।। मां शारदे के इस प्राकट्य पर्व को सर्वसिद्धिदायक पर्व माना जाता है । आज के दिन किसी संस्कृत भाषा के शास्त्र अथवा किसी ग्रंथ का दान संकल्पपूर्वक किसी विद्वान ब्राह्मण को करना चाहिये । साथ ही "ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:" इस मंत्र का 11 माला जप भी करना चाहिये । ऐसा करने से तत्त्वज्ञान एवं विद्वत्ता की प्राप्ति होती है । बच्चों के हाथों से ऐसा करवाने से पढ़ाई में फेल होनेवाला बच्चा भी विद्वान हो जाता है ।।

मित्रों, माता सरस्वती की कृपा जिस पर हो जाती है, वह व्यक्ति कितना भी मूर्ख हो शीघ्र ही बुद्धिमान होकर जीवन में सही निर्णय लेने में सफल होता है । इस श्लोक से माँ शारदा का ध्यान करने से से व्यक्ति की बुद्धि निर्मल हो जाती है ।। या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥ अर्थात:- जो कुंद के फूल, चंद्रमा और बर्फ के हार के समान श्वेत हैं और जो श्वेत वस्त्र पहनती हैं । जो हाथों में वीणा धारण कि हुई हैं और श्वेत कमलों के आसन पर विराजमान हैं । ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवता जिनकी सदा स्तुति करते हैं तथा जो हर प्रकार की जड़ता को हर लेती हैं । ऐसी माता सरस्वती हम सभी का उद्धार करें हम सभी का सदैव कल्याण करें ।।

मित्रों, वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए माताजी के पूजनोपरान्त उनके बारह नामों का उच्चारण करना चाहिये । ये बारह नाम हैं - भारती, सरस्वती, शारदा, हंसवाहिनी, जगती, वागीश्वरी, कुमुदी, ब्रह्मचारिणी, बुद्धिदात्री, वरदायिनी, चंद्रकांति एवं भुवनेश्वरी । माताजी के इन बारह नामों का स्मरण करने वाला जातक कुशाग्र, बुद्धिमान एवं मेधावी होता है ।। आज माताजी का पूजन श्वेत कमल एवं अन्य श्वेत पुष्पों से करना चाहिये । माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ हो जाता है । यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का सूचक है । वसंत पंचमी मां सरस्वती की जयंती का दिन है । इस दिन से प्रकृति के सौंदर्य में निखार दिखने लगता है । वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए-नए गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करने लगते हैं ।।

इस दिन को बुद्धि, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना के रूप में मनाया जाता है । वसंत-पंचमी' के दिन किसान लोग नए अन्न में गुड़ तथा घी मिश्रित करके अग्नि तथा पितरों का तर्पण करना चाहिये । साथ ही केशरयुक्त मीठे चावल अवश्य घर में बनाकर स्वयं उनका सेवन करना चाहिये । इस दिन भगवान विष्णु के पूजन का भी बहुत ही महत्व होता है ।। वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।


SHARE

About astroclassess.blogspot.com

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment