पितरों की पूजा भगवान के साथ नहीं करना चाहिए ।। Pitaron ke Sath Bhagvan Ki Pooja Nahi Karani Chahiye.

पितरों की पूजा भगवान के साथ नहीं करना चाहिए ।।

घर के पूर्वजों की पूजा भगवान के साथ नहीं करना चाहिए । क्योंकि 
हमारे हिन्दू धर्म में मृत पूर्वजों को पितृ माना जाता है । पितृ को पूज्यनीय माना जाता है ।।

यहां पितृ की तिथि पर उनके आत्मा की शांति के लिए विभिन्न तरह का दान किया जाता हैं । लेकिन ऐसा माना जाता है कि आपके घर के मंदिर में भगवान की ही मूर्तियां और तस्वीरें हों, उनके साथ किसी मृतात्मा का चित्र न लगाया जाए ।।

साथ ही भगवान के साथ अपने पितरों की पूजा नहीं करना चाहिए । 
इसके पीछे कारण है सकारात्मक-नकारात्मक ऊर्जा और अध्यात्म में हमारी एकाग्रता का । मृतात्माओं से हम भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं ।।

उनके चले जाने से हमें एक खालीपन का एहसास होता है । मंदिर में इनकी तस्वीर होने से हमारी एकाग्रता भंग हो सकती है और भगवान की पूजा के समय यह भी संभव है कि हमारा सारा ध्यान उन्हीं मृत रिश्तेदारों की ओर हो ।।

इस बात का घर के वातावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है । हम पूजा में बैठते समय पूरी एकाग्रता लाने की कोशिश करते हैं ताकि पूजा का अधिकतम प्रभाव हो ।।

ऐसे में मृतात्माओं की ओर ध्यान जाने से हम उस दु:खद घड़ी में खो जाते हैं जिसमें हमने अपने प्रियजनों को खोया था । हमारी मन:स्थिति नकारात्मक भावों से भर जाती है ।।
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