वैवाहिक जीवन प्रेम से परिपूर्ण ।। In marriage matching system.

हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,






















स्त्री हो या पुरूष सभी शादी से पूर्व यही सपना देखते हैं कि उनका वैवाहिक जीवन प्रेम से परिपूर्ण हो। जीवनसाथी उन्हें और उनकी भावनाओं को समझे और गृहस्थ जीवन में सुख और आनन्द की बरसात होती रहे। विवाह के पश्चात बहुत से लोगों का यह सपना सच होता है तो बहुत से लोगों को मायूसी हाथ लगती है अर्थात उनका वैवाहिक जीवन कलह और अशांति से भरा रहता है। वैवाहिक जीवन में कलह का नज़ारा कई बार ऐसा हो जाता है कि घर-घर नहीं अखाड़ा नज़र आने लगता हैं।

प्रश्न उठता है कि जब दो व्यक्ति प्रेम का स्वप्न सजाये विवाह के पवित्र बंधन में बंधते हैं तो उनके बीच कलह का क्या कारण हो सकता है। ज्योतिषशास्त्री कहते हैं भौतिक जगत में पति पत्नी के मध्य कलह के कारण कुछ भी हों जैसे पत्नी के बनाये खाने की शिकायत, मायके का ताना या शक लेकिन इसका वास्तविक कारण छुपा है ग्रहों की दुनियां में। विवाह से पूर्व अगर ठीक प्रकार से कुण्डली नहीं मिलायी जाए अथवा बिना कुण्डली मिलाए शादी हो तो इस बात की संभावना रहती है कि पति और पत्नी की राशि और नक्षत्र में दुश्मनो जैसा रिश्ता हो फलस्वरूप ग्रह, राशि और नक्षत्र आपस में किसी बहाने मतभेद पैदा कर देते हैं जिससे पारिवारिक सुख शांति में बाधा आने लगती है।

गृहस्थ जीवन में सुख शांति और प्रेम का पौधा फलता फूलता रहे इसके लिए विवाह पूर्व कुण्डली मिलाप की सलाह दी जाती है। कुण्डली मिलाप के अन्तर्गत कई प्रकार के वर्ग और कूटों से फलादेश किया जाता है। दक्षिण भारतीय पद्धति की बात करें तो इसमें 20 कूटों से कुण्डली मिलायी जाती है(In marriage matching system, Bees koota are popular in South India) इन बीस कूटों में से एक प्रमुख कूट है पक्षी वर्ग कूट। पंच पक्षी से किस प्रकार कुण्डली मिलायी जाती है और फलादेश किया जाता है, यहां हम इसी पर बात कर रहे हैं।

पंक्षी वर्गकूट के अन्तर्गत बताया गया है कि पंक्षी पांच प्रकार के होते हैं जो क्रमश: इस प्रकार है: 1. गरूड़(Garud)  2.पिंगल(Pingal)  3.काक(Kak)  4.कुक्कुट(Kukut)  5.मोर(Moor)। इन पॉचो पंक्षी वर्ग में नक्षत्रों को बॉटा गया है, आइये पक्षी वर्ग के अन्तर्गत नक्षत्रों के विभाजन को देखें:

1.गरूड़-  अश्विनी, आर्द्रा, पू.फा., विशाखा, उ.षा.

2.पिंगल- भरणी, पुनर्वसु, उ.फा., अनुराधा, श्रवण

3.काक- कृतिका, पुष्य, हस्त, ज्येष्ठा, घनिष्ठा

4.कुक्कुट- रोहिणी, आश्लेषा, चित्रा, मूल, शतभिषा

5.मयूर- मृगशिरा, मघा, स्वाती, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, उ.भा. और रेवती

पंक्षी वर्गकूट के अन्तर्गत नक्षत्रों के विभाजन को देखकर आप समझ सकते हैं कि पहले चार पक्षियों में 5-5 नक्षत्र होते हैं तथा पांचवें में 7 नक्षत्र स्थापित होते हैं। दम्पत्ति के नक्षत्र यदि एक ही पक्षी वर्ग में आते हैं तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है(If Nakshatras of  Married Life is of same pakshi, so it is very Auspicious) क्योंकि इस स्थिति में वैवाहिक सूत्र में बंधने पर दम्पत्ति के बीच काफी प्रेम रहता है। अगर पक्षी वर्ग में स्त्री और पुरूष के नक्षत्र अलग अलग हों तो इसे अशुभ माना जाता है, इस स्थिति में विवाह होने पर वैवाहिक जीवन में कलह की संभावना प्रबल रहती है।

ध्यान देने वाली बात है कि दक्षिण भारत में पक्षी वर्ग में नक्षत्रों को स्थापित करने की अन्य विधि भी है, परंतु उपरोक्त विधि या मत को अधिक मान्यता मिली हुई है अत: इसी का उल्लेख यहां किया गया है। 

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।।। नारायण नारायण ।।।
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